अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने की कोशिश करने वाले एक युवक की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या करने के बाद 2017 में तत्कालीन भाजपा-शिअद गठबंधन की बेअदबी की घटना फिर से सुर्खियों में आ गई है।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के रहने वाले युवक ने प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया और गुरु ग्रंथ साहिब के सामने रखी तलवार को उठाने की कोशिश की। उसे सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया और उसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) कार्यालय को सौंप दिया गया, जहां उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
अमृतसर के पुलिस उपायुक्त परमिंदर सिंह भंडाल ने बताया कि, युवक की उम्र लगभग 20-25 की थी और वो घेरे को कूदकर अंदर आया था । अंदर के लोगों ने उसे पकड़ लिया और गलियारे में ले गए, जहां एक हिंसक विवाद हुआ, जिससे उसकी मौत हो गई।
गौरतलब है कि करीब 60 दिनों में यह दूसरी घटना है जब अभद्रता के आरोपी को भीड़ ने मार डाला। इससे पहले अक्टूबर में, निहंग सिखों के एक समूह द्वारा कथित तौर पर बेअदबी के आरोप में दिल्ली के सिंघू सीमा पर एक 35 वर्षीय व्यक्ति लखबीर सिंह की हत्या कर दी गई थी। यह घटना तीन कृषि कानूनों के विरोध के दौरान हुई थी।
घटना का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है जिसमें रेहरास साहिब पथ के दौरान एक व्यक्ति को रेलिंग पर कूदते देखा जा सकता है। गुरु ग्रंथ साहिब के पास आरक्षित क्षेत्र में रखी तलवार को उसने उठा लिया। अज्ञात लोगों के लिए, स्वर्ण मंदिर में आरक्षित क्षेत्र केवल ग्रंथी सिखों के लिए खुला है।
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घटना के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल ने घटना की निंदा की और इसे बेहद चौंकाने वाला और दर्दनाक बताया। उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि अपराध शब्दों के लिए बहुत निंदनीय है और इसने पूरी दुनिया में सिख जनता के मन में गहरी पीड़ा और आक्रोश पैदा किया है।
The heinous attempt to commit sacrilege at Sachkhand Sri Harmandar Sahib, is deeply shocking & exceedingly painful! The crime is too reprehensible for words & it has caused 'deep anguish and outrage in minds of Sikh masses all over the world': Party patron S. Parkash Singh Badal pic.twitter.com/HUpiqXAC8e
— Shiromani Akali Dal (@Akali_Dal_) December 18, 2021
इस जघन्य घटना ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया है, जिसमें लोग मामले की जांच और मृतक के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। एक यूजर ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा कि भारत में पिछले 7-8 सालों में लिंचिंग की संस्कृति सामान्य हो गई है।
प्रतिक्रिया देखें:-
A culture of lynching has been normalised in India over the last 7-8 years. The frequency of lynchings shot up & were patronised by the state after BJP came to power. Let us ensure we don't stoop to their levels. They will provoke. They want us to be like them. But we are better.
— Nakul Singh Sawhney (@nakulssawhney) December 19, 2021
And now you are standing by people not just lynch but also who garland and celebrate lynching for eating beef. https://t.co/njXN9kPYXQ
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) December 17, 2021
After condemnable bid to desecrate symbols of Sikh faith and the lynching of a youth the debate on sacrilege is resparked in Punjab. While 'progressive' politicians and famed 'secular' lobby are too scared to take a stand the police must also file a case on the lynching.
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) December 19, 2021
Unbelievable. A man has now been lynched in Golden Temple for "be-adabi" (disrespect) of Sikh holy text
The text in Punjabi below reads, 'be-adabi ke mulzim lo bheed ne maar diya' (mob has lynched sacrilege accused)
Disturbing videos have emerged of crowd hailing the lynching pic.twitter.com/FE2JjqPGGm— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 18, 2021
Sacrilege is criminal. And, lynching too. Nothing gives anyone a right to kill anyone.
— Ashok Swain (@ashoswai) December 18, 2021